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सार्थक पहल / लालित्य ललित

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गर्भपात
वज्रपात
हिमपात
इत्यादि से गुज़रता हुआ
मनुष्य लगभग
संवेदन शून्य हो
चुका होता है
जिसके सामने
अंसख्य गुलाब भी रख दो
तब भी
वह उनकी ख़ुश्बू नहीं ले
पाएगा
केवल और केवल
निहारने के सिवाय
उसकी कोई विशेष
दख़लदांज़ी नहीं होगी
पहले से टूटा मनुष्य
क्या आसानी से जुड़ पाएगा !
नहीं जुड़ पाएगा
कोई मर थोड़े ही जाएगा
दोस्त हारने से
कुछ नहीं होता
हिम्मत रखो आगे बढ़ो
घटना-दुर्घटना तो
जीवन का एक हिस्सा है
इसकी लपेट में
कभी भी
कोई भी
आ सकता है
एक बुरा सपना समझ के
भूल जाओ देखो
अगले महीने
ललित कला दीर्घा में
मौक़ा है
तुम्हें अपनी पेंटिंग्स को
दिखाने का
तुम अपना कविता -
संग्रह किसी -
प्रकाशक को
दे सकती हो
और तुम
अनाथालय में कुछ पल
नन्हें-मासूम बच्चों को
दे सकती हो
ये भोले बच्चे
मनुष्य की तमाम
बुरी हरकतों से बहुत दूर हैं
जिन्हें हम
दो पल दे सकते हैं
उन्हें अपना समझ सकते हैं
और तुम हां - हां तुम
तुम्हीं से कह रहा हूं
जाने वाला चला गया
छोड़ गया परिवार
हिम्मत ना हार
जुट जा
भविष्य को साकार कर
‘लोन ले’
व्यापार चमका
तुम कर लोगी
मन से
यह विचार त्याग दो
कि यह काम नहीं होगा
बल्कि हमेशा सोचो
कोई काम मुश्किल नहीं
यह तो
चुटकियों में हो जाएगा
- कारवां बनता चला गया
एकता में बल है
चारों दिशाओं से महिलाएं
एक जुट हो गईं
- हम सब एक हैं