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भाग्य का लेखा / लालित्य ललित

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पंडित को
हाथ दिखाती लड़कियां
पंडित कभी हाथ को
कभी उसकी शरारतों को
देखते हैं
और
कह देते हैं फ़ौरन लड़की !
तेरा भविष्य बड़ा उज्जवल है
मुंह मांगी मुराद पूरी होगी
दूल्हा सुंदर होगा
नौकर-चाकर होंगे
महलों में राज करेगी
सुनकर इस तरह के वचन
अक्सर लड़कियां
खुश हो जाती हैं
मगर अब कि लड़कियां
चाहती हैं
चाहे पास ना हो कार-स्कूटर
लेकिन
‘मेट्रो’ की हो कनेक्टिविटी
जिस घर जाऊं
वह देश की राजधानी में
या
प्रदेश की राजधानी में हो
जहां बिजली न जाएं
और मियां मेरा
सैर बोल तो सैर कराएं
आईसक्रीम बोलूं, तो -
आईसक्रीम खिलाए
ऐसी होती हैं
आज की लड़कियां
बताइए !
आप क्या चाहती हैं ?
क्नेक्टिविटी, मेट्रो की सवारी
या और भी बहुत सारी
मनोवांछित सुविधाएं
सुन कर लड़कियां हुई रोमांचित
ज़रूर पूरी होंगी इच्छाएं
तब
जब
आप दोगी दक्षिणा भारी
सुन कर हुई लड़कियां
नौ-दो ग्यारह
ऐसी हैं भाई
आज की लड़कियां
ऐसी हैं यजमान !
लड़कियां ।