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प्रेम में तुम / लालित्य ललित

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तुम नहीं बोलती
अक्सर
यूं ही, इसी तरह
तुम्हारी अपनी जीवन शैली है
तुम
अपने में समाये रहती हो
इतनी विस्तृत दुनिया
जो तुमसे शुरु होकर
और
तुम्हीं पर ख़त्म होती है
यानी तुम भी प्रेम में हो ।