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बेवफा / दीपक मशाल
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दिन बा दिन सूखते जा रहे एक पेड़ की शाख
अचानक कुछ निश्चय कर चटकी
तेज़ आँधी की आड़ ले टूटी
और टूटकर जा गिरी ज़मीं पर
तेज़ बारिश में गलाया, सड़ाया खुद को...
मिट्टी संग मिल खाद हुई..
खाद सोख पेड़ में हरक़त हुई
कुछ जान आई
पत्तियाँ हरयाईं
नई शाख लहराईं...
अब बद-वक्त में टूट गिरी वो शाख बेवफा कहलाती है...