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एक सच्चा तेरा नाता है / गुलाब खंडेलवाल
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एक सच्चा तेरा नाता है
बाकी तो सब कुछ सपने-सा मिटता ही जाता है
जो भी फूल तनिक मुस्काता
कर से छूते ही कुम्हलाता
बस जब तुझ पर ध्यान लगता मन विराम पाता है
भूमि गगन रवि शशि ग्रह तारे
जिसको ढूँढ़ ढूँढ़ कर हारे
शब्दों में निज बाँह पसरे वह मुझ तक आता है
घड़ी दो घड़ी खेल कूद कर
लौट चूका हूँ मैं अपने घर
अब सुरधनुषी तितली का पर मुझे नहीं भाता है
एक सच्चा तेरा नाता है
बाकी तो सब कुछ सपने-सा मिटता ही जाता है