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साँसन हीं में समीर गयो / देव
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साँसन ही में समीर गयो अरु आँसुन ही सब नीर गयो ढरि.
तेज गयो गुन ले अपनों अरु भूमि गई तनु की तनुता करि.
'देव'जिये मिलिबेइ की आस कै,आसहु पास अकास रह्यो भरि.
जा दिन तें मुख फेरि हरै हँसि हेरि हियो जु लियो हरि जू हरि.