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देवता / चंद्रभूषण

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कभी मेघ की तरह गरजता है
कभी सूर्य की तरह चमकता है
कभी काँटों भरी झाड़ियों में
साँपों से घिरे केवड़ा फूल की तरह
गमकता है मेरा देवता

दिल-दिमाग दोनों एक तरफ रखकर
सिर्फ त्वचा पर उसे महसूस करो
जेठ के जलते पवन की तरह
हनकता है मेरा देवता

उसे पैसा कहूँ तो उसकी इज़्ज़त जाती है
उसे पावर कहूँ तो मेरी इज़्ज़त जाती है
उसे ग्लैमर कहूँ तो सबकी इज़्ज़त जाती है

और इज्जत बचाकर रखूँ कोई नाम न दूं
तो एफएम रेडियो के एंकर की तरह
चौबीसो घंटे बेवज़ह बेबात
सिर चढ़ चहकता है मेरा देवता

कभी देवता से पूछो कि कैसे तुम्हें पूजें
काहे की हवि दें किसका अर्घ्य डालें
तो जवाब की उससे उम्मीद मत करना

मैंने एक बार पूछा और पछताया
देवता तो चुप रहा पुजारियों ने दौड़ाया-
तुम नहीं तुम नहीं तय करेगा वही
कौन उसे पूजे कैसे उसे पूजे
कौन कृपा पाए कौन लात खाए

उनके ऊँचे सुरों बीच बैठा किनारे
ठसकता है मसकता है कसकता है
मेरा देवता

भरी दोपहरी संसद से सटकता है
शाम ढले आई०पी०एल० में अटकता है
सारी-सारी रात सूनी मंडी में मटकता है

इतना सब करके भी आठो पहर
किस विधि से मेरे मन में
भटकता है मेरा देवता
देवता...मेरा देवता