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बींठ (3) / सत्यनारायण सोनी

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यह जो सजाई
मिठाई की दुकान बच्चों ने
भांति-भांति का रूप लिए
सज गए-
मींगणे-मींगणियां,
गधलेडे-लीद।
पर कौन माने इनको विष्टा,
ये तो गुलाबजामुन-बूंदी, चमचम-हलवा।
देखा तो,
मुंह में पानी भर आया।

2005