Last modified on 28 अक्टूबर 2012, at 01:24

सरकंडों के वन में जन्‍म लेनेवाले / कालिदास

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:24, 28 अक्टूबर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=कालिदास |संग्रह=मेघदूत / कालिद...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: कालिदास  » संग्रह: मेघदूत
»  सरकंडों के वन में जन्‍म लेनेवाले

आराध्‍यैनं शरवणभवं देवमुल्‍लाङ्विताध्‍वा
     सिध्दद्वन्‍द्वैर्जलकणभयाद्वीणिभिर्मु क्‍तमार्ग:।
व्‍यालम्‍वेथा: सुरभितनयालम्‍भजां मानयिष्‍यन्
     स्रोतोमूर्त्‍या भुवि परिणतां रन्तिदेवस्‍य कीर्तिम्।।

सरकंडों के वन में जन्‍म लेनेवाले स्‍कन्‍द की
आराधना से निवृत होने के बाद तुम, जब
वीणा हाथ में लिये हुए सिद्ध दम्‍पति बूँदों
के डर से मार्ग छोड़कर हट जाएँ, तब आगे
बढ़ना, और चर्मण्‍वती नदी के प्रति सम्‍मान
प्रकट करने के लिए नीचे उतरना। गोमेघ
से उत्‍पन्‍न हुई राजा रन्तिदेव की कीर्ति ही
उस जलधारा के रूप में पृथ्‍वी पर बह
निकली है।