ख़ौफ़ खाकर उड़ान छोड़ेगा
क्या परिंदों की शान छोड़ेगा
इश्क़ तेरा अगर रहा क़ायम
हुस्न अपना गुमान छोड़ेगा
क्यों करे वो फ़रेब से तौबा
कौन चलती दुकान छोड़ेगा
चाहे क़ातिल हो कितना भी हुशियार
कुछ न कुछ तो निशान छोड़ेगा
फिर वो जाकर बहस में होगा शरीक़
पहले घर पर ज़ुबान छोडे़गा
तुम भी झाँसे में आ नहीं जाना
कौवा कोयल की तान छोड़ेगा
हाथ धोकर पड़ा है ग़म पीछे
कब मुआ मेरी जान छोड़ेगा