इन्द्र, आप यहाँ से जाएँ
तो पानी बरसे
मारूत, आप यहाँ से कू़च करें
तो हवा चले
बृहस्पति, आप यहाँ से हटें
तो बुद्धि कुछ काम करना शुरू करे
अदिति, आप यहाँ से चलें
तो कुछ ढंग की संततियाँ जन्म लें
रूद्र, आप यहाँ से दफ़ा हों
तो कुछ क्रोध आना शुरू हो
देवियो-देवताओ ! हम आपसे
जो कुछ कह रहे हैं
प्रार्थना के शिल्प में नहीं