भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुछ यों / हेमन्त शेष

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:22, 20 जनवरी 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त शेष }} Category:कविता <poeM> कुछ यों...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ यों

तोड़ता हूं -
जीवन में सिर नहीं, कविता में शिल्प!
फोड़ सकता हूं पहला, दूसरे के लिए
(कि) हत्यारा नहीं
हूं तो तथाकथित कवि ही