Last modified on 11 अक्टूबर 2007, at 19:05

छोड़ मत जाज्यो जी महाराज / मीराबाई

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:05, 11 अक्टूबर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} राग तिलक कामोद छोड़ मत जाज्यो जी महाराज॥<br...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

राग तिलक कामोद

छोड़ मत जाज्यो जी महाराज॥

मैं अबला बल नायं गुसाईं, तुमही मेरे सिरताज।
मैं गुणहीन गुण नांय गुसाईं, तुम समरथ महाराज॥

थांरी होयके किणरे जाऊं, तुमही हिबडारो साज।
मीरा के प्रभु और न कोई राखो अबके लाज॥


शब्दार्थ :- नांय = नहीं। थांरी =तुम्हारी। किणरे =किसकी। हिबडारो =हृदय के।