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हाहाहाहा हाहाहाहा / दिविक रमेश
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गाय घर पर आना जी
आकर रोटी खाना जी
हमको दूध पिलाना जी
अपनी पूँछ हिलाना जी
अपने कान हिलाना जी
मक्खी खूब उड़ाना जी
हमको खूब हँसाना जी
हाहाहाहा हाहाहाहा हाहाहा।