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छाले / दिविक रमेश

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माँ! बापू जब कूटा करते
जब हाथों में छाले पड़ते

जी करता बन कर दस्ताने
हाथों में उनके चढ़ जाऊँ

छालों से मैं उन्हें बचाऊँ
गोदी में उनकी चढ़ जाऊँ ।