Last modified on 12 मार्च 2013, at 11:18

सारा देश रियल इस्टेट / दिनकर कुमार

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:18, 12 मार्च 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनकर कुमार |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सारा देश रियल इस्टेट
मानचित्र पर क्यों रहें
धान के लहलहाते हुए खेत
कल-कल बहती हुई नदियाँ
ताल-तलैया, झील-पोखर
हरियाली का जीवन

सारा देश रियल इस्टेट
उन्हें उजाडऩे की आदत है
वे उजाडक़र दम लेंगे
फ़सल की जगह फ़्लैट उगाएँगे
एक्सप्रेस वे बनाएँगे
रिसॉर्ट और फ़न-सिटी बसाएँगे

सारा देश रियल इस्टेट
कैसी माटी किसकी माटी
कैसी धरती कैसी माता
कैसा देश किसका तंत्र
भूमाफ़िया का देश
बिल्डर का तंत्र
बाक़ी प्रजा रहे दीन-हीन
उनके अधीन उनके अधीन ।