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तुम न आए तो क्या सहर न हुई / ग़ालिब
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तुम न आए तो क्या सहर<ref>प्रात:</ref> न हुई
हाँ मगर चैन से बसर<ref>गुज़रना</ref> न हुई
मेरा नाला<ref>रोना-धोना, शिकवा </ref>सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई
शब्दार्थ
<references/>