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मेरा देश बड़ा गर्वीला / गोपाल सिंह नेपाली

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मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।
नीले नभ में बादल काले, हरियाली में सरसों पीली ।

यमुना-तीर, घाट गंगा के, तीर्थ-तीर्थ में बाट छाँव की
सदियों से चल रहे अनूठे, ठाठ गाँव के,हाट गाँव की ।
                                    
शहरों को गोदी में लेकर, चली गाँव की डगर नुकीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

खडी-खड़ी फुलवारी फूले, हार पिरोए बैठ गुजरिया ।
बरसाए जलधार बदरिया, भीगे जग की हरी चदरिया ।

तृण पर शबनम, तरु पर जुगनू, नीड़ रचाए तीली-तीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

घास-फूस की खड़ी झोपड़ी, लाज सम्भाले जीवन-भर की ।
कुटिया में मिट्टी के दीपक, मंदिर में प्रतिमा पत्थर की ।

जहाँ बाँस कँकड़ में हरि का, वहाँ नहीं चाँदी चमकीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

जो कमला के चरण पखारे, होता है वह कमल-कीच में ।
तृण, तंदुल, ताम्बूल, ताम्र, तिल के दीपक बीच-बीच में ।

सीधी-सदी पूजा अपनी, भक्ति लजीली मूर्ति सजीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

बरस-बरस पर आती होली, रंगों का त्यौहार अनोखा
चुनरी इधर-उधर पिचकारी, गाल-भाल पर कुमकुम फूटा ।

लाल-लाल बन जाए काले, गोरी सूरत पीली-नीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

दिवाली -- दीपों का मेला, झिलमिल महल-कुटी-गलियारे ।
भारत-भर में उतने दीपक, जितने जलते नभ में तारे ।

सारी रात पटाखे छोडे, नटखट बालक उम्र हठीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।
 
खंडहर में इतिहास सुरक्षित, नगर-नगर में नई रौशनी ।
आए-गए हुए परदेशी, यहाँ अभी भी वही चाँदनी ।

अपना बना हजम कर लेती, चाल यहाँ की ढीली-ढीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

मन में राम, बाल में गीता, घर-घर आदर रामायण का ।
किसी वंश का कोई मानव, अंश साझते नारायण का ।
 
ऐसे हैं बहरत के वासी, गात गठीला, बाट चुटीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

आन कठिन भारत की लेकिन, नर-नारी का सरल देश है ।
देश और भी हैं दुनिया में, पर गाँधी का यही देश है ।

जहाँ राम की जय अजग बोला, बजी श्याम की वेणु सुरीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति- रसम- ऋतुरंग- रंगीली ।

लो गंगा-यमुना-सरस्वती या लो मदिर-मस्जिद-गिरजा ।
ब्रह्मा-विष्णु-महेश भजो या जीवन-मरण-मोक्ष की चर्चा ।

सबका यहीं त्रिवेणी-संगम, ज्ञान गहनतम, कला रसीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।