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पहले आपकी आदमक़द प्रतिमा बनाएँगे / दिनकर कुमार

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पहले आपकी आदमक़द प्रतिमा बनाएँगे
फिर भव्य-समारोह आयोजित कर
आपका अनावरण करेंगे
आपकी याद में पत्थर पर शिलालेख लिखेंगे
किसी सड़क, किसी गली, किसी पुल का नाम
आपके नाम पर रख देंगे
आपकी समाधि बगीचे में बनाएँगे
संगमरकर के ख़ूबसूरत पत्थर लगवाएँगे

आपकी समाधि पर चढ़ाए जाएँगे फूल
जिन्हें मुरझाने के बाद फेंकने के लिए तैनात होगा माली
आपकी तस्वीरें सँग्रहालय में प्रदर्शित करेंगे
बचपन किशोरावस्था और यौवन की भंगिमाएँ
आपकी याद में बहाए जाएँगे नकली आँसू

आपके विचारों को सभ्यता के दीमक चाटते रहेंगे
आप अपनी महानता के बोझ से दब जाएँगे
इस कदर दब जाएँगे कि
बची रह जाएगी
प्रतिमा, समाधि या तस्वीरें ।