भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अज्ञेय / विपिनकुमार अग्रवाल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:59, 13 अक्टूबर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विपिनकुमार अग्रवाल |संग्रह= }} उनसे कई बार मिला बहुत-सी...)
उनसे कई बार मिला
बहुत-सी बातें कहीं
पर संकोच में
या बुद्धिमानी की ओट में
वे चुप रहे
महज़ कहा
हूँ, हाँ और एक नहीं
(रचनाकाल : 1957)