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एक फुल खिल्या आधी रात / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एक फुल खिल्या आधी रात बन्ने पकड़या हाथ
बन्नी तो हमारी है।
छोड़ो-छोड़ो बना जी मेरा हाथ अभी तो कुंवारी हुं
मेरे बाबा जी देंगे कन्यादान वो देंगे महादान
तभी तो तुम्हारी हूं
मेरे ताऊ जी देंगे कन्या दान वो देंगे महादान
तभी तो तुम्हारी हूं
एक फुल खिल्या आधी रात बन्ने ने पकड़या हाथ
बन्नी तो हमारी है।


एक फुल खिल्या आधी रात बन्ने पकड़या हाथ
बन्नी तो हमारी है।
छोड़ो-छोड़ो बना जी मेरा हाथ अभी तो कुंवारी हुं
मेरे पापा जी देंगे कन्यादान वो देंगे महादान
तभी तो तुम्हारी हूं
मेरे चाचा जी देंगे कन्या दान वो देंगे महादान
तभी तो तुम्हारी हूं
एक फुल खिल्या आधी रात बन्ने ने पकड़या हाथ
बन्नी तो हमारी है।


एक फुल खिल्या आधी रात बन्ने पकड़या हाथ
बन्नी तो हमारी है।
छोड़ो-छोड़ो बना जी मेरा हाथ अभी तो कुंवारी हुं
मेरे फूफा जी देंगे कन्यादान वो देंगे महादान
तभी तो तुम्हारी हूं
मेरे मामा जी देंगे कन्या दान वो देंगे महादान
तभी तो तुम्हारी हूं
एक फुल खिल्या आधी रात बन्ने ने पकड़या हाथ
बन्नी तो हमारी है।