भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पढ़ो रे पोपट राजा राम का / निमाड़ी
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:36, 19 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }...' के साथ नया पन्ना बनाया)
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
पढ़ो रे पोपट राजा राम का,
सीता माई न पढ़ायाँ
(१) भाई रे पोपट थारा कारणा,
खासा पिंजरा बणायाँ
उसका रंग सुरंग है
उपर चाप चड़ायाँ...
पढ़ो रे पोपट...
(२) भाई रे पोपट थारा कारणा,
खासा महल बणायाँ
ईट गीरी लख चार की
नर रयण नी पायाँ...
पढ़ो रे पोपट...
(३) भाई रे पोपट थारा कारणा,
खासा बाग लगायाँ
चंपा चमेली दवणो मोंगरो
वामे केवड़ा लगायाँ...
पढ़ो रे पोपट...
(४) भाई रे पोपट थारा कारणा,
खासा कुँवा खंडाया
कुँवा खडया घणा मोल का
पाणी पेण नी पायाँ...
पढ़ो रे पोपट...
(५) अनहद बाजा हो बाजीया,
आरे सतगुरु दरबार
सेन भगत जा की बिनती
राखो चरण अधारँ...
पढ़ो रे पोपट...