♦ रचनाकार: अज्ञात
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बीरथा जलम हमारो गुरुजी म्हारो
(१) एक क्षण खोया दूजा क्षण खोया,
तीजा म सरण आयो
वन में तो गाय भैस चराये
जंगल बास कियो...
गुरुजी म्हारो...
(२) राज पाट धन माल सब त्यागू,
म्हारा कंठ म प्राण आयो
चरण धोवो रे चरणामत लेवो
चलत आयो गस्त...
गुरुजी म्हारो...
(३) झट मनरंग न गोद उठायो,
मस्तक हाथ फिरायो
राम नाम का शब्द सुणाया
राम नाम लव लागी...
गुरुजी म्हारो...