Last modified on 19 अप्रैल 2013, at 23:37

भक्ति दान मोहे दिजीये / निमाड़ी

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:37, 19 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

    भक्ति दान मोहे दिजीये,
    देवन के हो देवा
    करु संत की सेवा...
    भक्ति दान...

(१) नही रे मांगूँ धन सम्पदा,
    सुन्दर वर नारी
    सपना म रे मांगूँ नही
    मोहे आन तुम्हारी...
    भक्ति दान...

(२) तीरथ बरत मोसे ना बने,
    कछू सेवा ना पुजा
    पतीत ठाड़ो परभात से
    आरु देव न दुजा...
    भक्ति दान...

(३) करमन से रिध सिद्ध घणा,
    वैकुंठ निवासा
    किंचित वर मांगूँ नही
    जब लग तन स्वासा...
    भक्ति दान...