भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सनन सनन सांय सांय / हिन्दी लोकगीत

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:06, 25 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=हिन्दी }} <...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सनन सनन सांय सांय हो रही थी रेल में-२
पहले डिब्बे में बैठे थे सास और ससुर जी
सीता-राम सीता-राम हो रही थी रेल में

सनन सनन सांय सांय हो रही थी रेल में-२
दूजे डिब्बे में बैठे थे जेठ और जेठानी
घूसा-लात घूसा-लात हो रही थी रेल में

सनन सनन सांय सांय हो रही थी रेल में-२
तीजे डिब्बे में बैठे थे ननद और ननदोई जी
सोजा मुन्ने, सोजा मुन्ने रही थी रेल में

सनन सनन सांय सांय हो रही थी रेल में-२
चौथे डिब्बे में बैठे थे बन्ना और बन्नी
आई लव यू, आई लव यू हो रही थी रेल में

सनन सनन सांय सांय हो रही थी रेल में-२
पाँचवे डिब्बे में बैठे थे देवर और बराती
तांका-झाँकी, तांका-झाँकी हो रही थी रेल में