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दो न / लाल्टू

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दो न, दे दो न मुझे सारे दुख

आज नहीं तो कल बारिश होगी
धमनियों को निचोड़ धो डालूँगा
अपने तुम्हारे आँसू
कागज़ की नौका पर दुखों का ढेर बहा दूँगा

वर्षा थमते ही ले आऊँगा अरमानों की बहार
जिसमें सुबह शाम बस प्यार और प्यार