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काश्मीर के प्रति - प्रथमसर्ग/ शंकरलाल चतुर्वेदी 'सुधाकर'

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ओहिंदवीरकेउच्चभाल,किन्नरियोंकेपावन, सुदेश |
तेरीमहिमाकाअमितगान,करसकतेक्यासारदगणेश ||१||

सौन्दर्यसलिलसरवरहैतू,नरनलिनजहाँसर्वत्रखिले |
मधुकरीकिन्नरीवारचुकी , मधु -रसलेकरमनमुक्तभले ||२||

पर्वतपयस्विनीपादपगन , पुष्पावलिपावनविविधरंग |
आभूषितकलितमृदुलमधुमय , प्रकृतिवनिताकेविविधरंग ||३||

केसरकलकंजविहारिणहो , वरप्रकृतिपद्मनीवामबनी |
नरकीक्यागणनाहैजिसपर , मोहितहोतेसुरयक्षमुनि ||४||

तेरीकलकंजकलीकेसर , बादामदामसीफुलवारी |
फलफुल्ल–फूलमधुमयमेवा , निर्झरप्रपातहिममयवारी ||५||

भारतमाताकातूललाट , पृथ्वीकानंदनसाकानन |
अथवातूभारतभामिनिका , मंजुलमयंकसाहैआनन ||६||

कुछतीव्रत्वरितगतिसेबहती , इठलातीसीइतरातीसी |
नववधूवितस्तातवहियपर , कलकलिकासीकलपातीसी ||७||

उसमेंकंजादिकविविधपुष्प , मानोबहुदीपसुहातेहैं |
अपनेप्रियतमकीआरतिको , आरतहरवारेजातेहैं ||८||

तरनीतटनीशीतलजलमें , जबखोलपालकोबहतीहैं |
मानोअलकानगरीनभमें , परखोलपरीबहुउडतीहैं ||९||

त्वरितागतिसेवेआजाकर , इतरानाअमितदिखातीहैं |
लहरोंसेलहकरसलिलघाट , अनुपमनवनृत्यदिखातीहैं ||१०||

नव-वधुसपतिउनमेंमानों, यक्षिणीयक्षसँगसजीहुई|
अथवासुर-ललनानाथ-साथ, सुरसरितामेंरतिभरीहुई ||११||

ओकाश्मीर ! जबचन्द्रपूर्ण, जलव्यासमध्यदिखलाताहै |
मानोबहुचन्द्र-मुखीलखकर, होकरविमुग्धरमजाताहै ||१२||

अथवादेकरनिजसुधादान, निजव्यक्तभावनाकरताहै |
रति-पतिकासहचरबनकर , मोहकआसवसेभरताहै ||१३||

अथवाबहु-रूपधारजलमें, चाँदीचकईसालगताहै |
उत्तुंगतरंगतरंगितहो ,कर-कसकीकसरतकरताहै ||१४||

तूआर्यभूमि, तूदिव्यदेश, वैदिकप्रतीकतूकिन्नरेश |
तूआदिसभ्यताकानिधिवन , शुभसुन्दरसारस्वतप्रदेश ||१५||

गिरिजा-पतिकिन्नरनृत्यहेरि,स्तव्धहुएज्योंपाथ-नाथ |
नभ-चुम्बितगढ़साअद्री-मृंग, होगयाप्राप्तकरकेसनाथ ||१६||

मधु-मृदुलमनोहरदिव्यदृश्य,दृष्टीगतहोताउच्चधाम |
हिम-गिरिकामानसमानताल,हरगृहललामकैलाशनाम ||१७||

श्रीनगरपार्श्वउत्तरदिशिमें, मंगलमयपावनअमरनाथ |
जिसकीयात्राअघओघहरे,मनमुदितहोतगिरि-सुता-नाथ ||१८||

जिसकोआराधाबारबार ,वारण-तारकनेस-विधिसाध |
वैष्णवदेवीकीदिव्य-दरी, भक्तीकीधाराहैअगाध ||१९||

तुझसेवोब्रह्माणविज्ञहुआ,जिससेथर्रातादिग-दिगंत |
ओकाश्मीर ! कारणजिसके, अवतीर्णहुएरघवरअनंत ||२०||

भारतमाताकातूललाट,साहित्य,शास्त्रकासौख्यसिन्धु |
लहलहीहुईहैविश्व-बेलि, जिसकीलघुसीपाएकबिंदु ||२१||

जिसकापांडित्यप्रभाकरसा, खर-प्रभादिगंतदिखाताथा |
विद्वताबनारसमागधकी, हारी, मुखबंगछिपाताथा ||२२||


चाणक्यचतुरनृपनीति-विज्ञ, व्याकरणकरणशालातुरीय |
उत्पन्नहुएजिनजननीसे, उनकातूप्रांगणदर्शनीय ||२३||

हैविश्वविदिततवबौद्धधर्म, ललितादितकासाहसअपार |
नतमस्तकथावहचीनदेश, जिसकेबलसन्मुख,बनसियार ||२४||

जिसकेभयसेथेभीतसभी, तिब्बतसिक्किमऔरदेशचीन |
शक्तिशांतिकाआराधक, प्याराकनिष्कतव-सरित-मीन ||२५||

पानद्वयसेआदृतहोता, वेदांतकाव्यकामिलनदिव्य |
उसप्रतिभाकाविजयीमम्मट, हेकाश्मीर ! तवनिधीभव्य ||२६||

अकबरमहानकेकारणतू ! मुगलोंकाभव्योद्यानबना |
जहाँगीरपुत्र, मुमताज़ताज, काक्रीडारामललामबना ||२७||

ललाटदेश ! ओललन-धाम, लालिमाललामीयुक्तदेश |
तेरालावण्यविलोकनको, आतेअशेषनितभव्यदेश ||२८||

आंग्लदेशकेअवलागण, तुझकोनिहारथकजातेथे |
जगतीतलकाआश्चर्यनवल, पाश्चात्यपुरुषबतलातेथे ||२९||

क्रीडास्थलअभिरामबना, गौरांगदेवकीललनाका |
काश्मीर ! कलितकलतातेरी, भोलीकामिनिकीछलनाका ||३०||

तेरीप्रभुता, महिमा, गरिमा, नन्दिनवनकलितकामनासे |
होदेश-प्रेमसेओत-प्रोत, जिसनेकैकर्यभावनासे ||३१||

देलाखपिचत्तरमुद्राके, गोरांगप्रभूकोमनचाही |
तेरेतनसेबेडीकठोर, दासतामयीयोंकटवाही ||३२||

क्षत्रियकुलकमलदिवाकरसा, वहकाश्मीर! थासिंहगुलाब |
भुजविक्रमअद्रिसुतासुतसा, जननीअवनीप्रतिनेहभाव ||३३||

रिपुगर्वरदनकेभंजनको, तनमनमेंसाहसथाअपार |
तिब्बतगिलकिटतकरेखखींच, पहुँचाईसीमाचीनपार ||३४||

सुषमाभरदीतेरेतनमें, जनताकोदियाथादुलार |
उन्नतहोप्राज्ञ, प्रभाविकसे, कविताकामिनिसेअतुलप्यार ||३५||

होगयास्वतंत्रउन्नतमस्तक,हेभारतभूआननअनूप|
सदियोंसेमानोआप्तकिया, तूनेअपनाअनुपमस्वरुप ||३६||

थागुलाबसिंहहृदकागुलाब , कविताप्रियपंडितकाश्मीर |
जनप्रियशासकथाभूपबना, शार्दूलसरस ‘रणवीर’ धीर ||३७||


करदियेपूर्णसबपितृकार्य, होगयाउरिनयोंकाश्मीर |
सीमाकोसुद्रढ़बनाडाला, रणवीरसिंहथासिंहवीर ||३८||

याचकथेपूर्णअयाचकसे, पांडित्य-प्रेमथामनउदार |
रणवीर -सिंह -सुतजब ‘प्रताप’, बनभूपतुझेकियापियार ||३९||

तबआंग्ल ,फ्रेंच ,डच , रोमनारि, जर्मनी , अरबतरुनीललाम |
तवछविनिरावनेआतीथी, लज्जितहोतीतुझसेप्रकाम ||४०||

मुगलोंकीभामिनीचपलासी,चंचलाचारूचीनीकुमारी |
रुसी, जापानीरदतृणले, तवललनाढिंगकरतीपुकार ||४१||

उनकेभाईथेअमरसिंह, शुचि,सौभ्य ,सरल, चितसेउदार |
नि: संततिअपनेअग्रजसे, कैकयी-सुतसाकरतेपियार ||४२||

देदियापुत्रनिजहरीसिंह, उनकीसेवाआराधनमें |
पायाथाजिसनेप्रेमभाव, पितृव्यप्रतापसिंहमनमें ||४३||

जिन्नाकुचालकाभंजनकर, मनरंजनजनताकाकरने |
भारतकोसौंपाकाश्मीर, तजितुझेदेशकाहितकरने ||४४||

मग-तरु-गृहसानिजराज्यत्याग, बम्बईमैंकीन्हासुखदवास |
आजीवनप्रणकोपूर्णकिया, फैलीजिससेयशकीसुवास ||४५||

उनहरीसिंहसरकेपंकज, हैंकाश्मीरगौरवअनूप |
उपराज्यपालजनपालकथे, दानीहैंजैसेकर्णभूप ||४६||

हैंकर्णसिंहराजातेरे, भारतकेमंत्रीअतिउदार |
गोद्विजयाचकपंडितकविवो, विष्णूसादेतेअतुलप्यार ||४७||

नेहरुजिसकेविश्वासपात्र, त्यागीन्यायीपंडितसुजान |
गर्वितहोपाकरकाश्मीर !, इनवलरत्नकाशुभ्रखान ||४८||

तेरावैभवओललाटथान, तेरीकलिताकाश्मीरदेश |
पानेकोअपहृतकरनेको, दृष्टीडालेहैंविविधदेश ||४९||

तूअबभीआलसमेंसोया, गाताअनुरागभराविहाग |
दुश्मनछातीपरखड़ाहुआ, तूजागजागयहरागत्याग ||५०||