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काश्मीर के प्रति - चतुर्थसर्ग/ शंकरलाल चतुर्वेदी 'सुधाकर'

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ओकाश्मीर ! तेराशासन ,पलटापैंसठसेउभयबार |
पाकेशअयूबयाह्याखाँको, उन्नतिसेहोतादुःखअपार ||१||

भड़कातेकभीमुस्लिमजनको, इस्लामवादकादेनारा |
मिथ्याप्रपंचफैलाताथा , वाहितकरगुप्तचरीधारा ||२||

गुजरातद्वन्दकोसन्मुखरख, दुनियाँअनृतप्रचारकिया |
मानोमिथ्याभाषणव्रतको, कलि-सद्र्शस्वयंहीधारलिया ||३||

तुझकोअपनेकरगतकरने, नितनएबहानेखोजताथा |
भारतनंदनकाननतू , किसविधिआवेयहसोचताथा ||४||

तेराहीएकहठातविमान, पश्चिमकीदिशिकोमोड़लिया |
करभस्मउसेसम्बन्धतोड़, घरबैठेझगड़ामोललिया ||५||

बिनकारणकारणखोजकोई, अड़ताथाअड़ियलटट्टूसा |
बांधफरक्काजलविवाद, आधमकावजरबट्टूसा ||६||

अमरीकासेलेसाहाय्य - युद्ध, चाऊसेपाकरआश्वासन |
तेरीसीमापरनित्यनये, षड्यंत्ररचातामनभावन ||७||

भारतपरडालाभारप्रबल, शरणागतजनकादिनदूना |
उकसानेबंगप्रजाजनको, दोषारोपणकरताऊना ||८||

परकाश्मीर ! तूपूछगंगसे, क्यागुज़ाराबंगालेमें |
तेरेहीजानीदुश्मनने, गज़बढहेबंगालेमें ||९||

बंग-देशसेधनलेकर, पोषितपश्चिमकापाकहुआ |
बंगाली-जनकोश्रमिकबना, स्वामीपश्चिमकापाकहुआ ||१०||

पिसगयीबंगजनतादुःखसे, निर्धनतानंगीनाचउठी |
जूँरेंगीनाशासनश्रुतिपर, कष्टोंसेप्रजाकराहउठी ||११||

सनसत्तरमासदिसंबरमें, होगयेचुनावबंगालमें |
अपनेदलकेसाथमुजीवर, जीतगयेबंगालमें ||१२||

मांगकरीसत्ताकोसोंपो, जनताकेतुमहाथोंमें |
जनताकाशासनतुमदेदो, जनताकेहीहाथोंमें ||१३||

होतेगतयोंदिनमहिने, तबमांगबढ़ीबंगालेमें |
टालमटोलकरीयाह्याने, जोशबढ़ाबंगालेमें ||१४||

दफ्तरमेंजानाबंदकिया, प्रियप्रजातंत्रकानाराथा |
शेखमुजीवरकीजयहो, जयबंगलादेशहमाराथा ||१५||

याह्यानेटिक्काचपरि-भेज, सेनाकातंत्रसम्हालाथा |
जनताकीइसगति-विधिपर, मानोंपालासाडालाथा ||१६||

भुट्टोसेकरकेकपटमन्त्र, निर्घोषणकातबवचनदिया |
अधिकाधिकसोंपूंजनताको, शासन, याह्यानेवचनदिया ||१७||

सेनाकोदेकरकपटहुक्म, पाकेशपधारेथेढाका |
करनीसदभावमयीवार्ता, संगसोहरहेभुट्टोआका ||१८||

मनमोरमुजीवरनाचउठा, अवलोकहरिततरुकासपना |
बंगलाहैपाकस्तानीका, हैपाकपियाराभीअपना ||१९||

करकपटमंत्रदेअनृतमोड़, पाकेशगएरावलपिंडी |
होगईध्वनितढाकानगरी, तड़ीतासीतड़कीभूसुंडी ||२०||

यहनिशानहींसाक्षातमृत्यु , येतारेनहिंअंगारेथे |
होलीकाहर्षअमर्षहुआ, तोपोंकेरवनक्कारेथे ||२१||

मार्शल-लाकाहुक्महुआ, सम्पूर्णपूर्वबंगालेमें |
जयबंगलादेश, मुजीबरजय, येगूंजउठाबंगालेमें ||२२||


वहबंगबन्धु, वहबंगसिंह, अपनेघरमेंथानज़रबंद |
जनताने 'शासनकोसोंपो ' कीमांगध्वनिकोकरबुलंद||२३||

नृशंसलूटखसोटहुई, लूटासतीत्वतवअबलाका|
बच्चोंकोलूटाजननीसे, सिन्दूरभालसेमहिलाका ||२४||

धन-धान्यलुटाबाज़ारोंमें, सुखशांतिलुटीथीग्रामोंसे |
कुसुमोंकीकलिताकोमलता, लुटगईसफलआरामोंसे||२५||

घर-घरसेलूटीगईशांति, निर्भयताबच्चोंसेलूटी |
वृद्धोंसेअनुभवलूटलिया, ‘आबैलमार’ विपदाटूटी ||२६||

कन्याकाशीलभंगहोता, यहदेखपिताक्रोधितहोता |
परवशथादुष्टपठानोंसे, बेचारासिरधुनकररोता ||२७||

मासूमपशुसाक़त्लकिया, बंगालीदलतबमहिलाका |
हरवीथिसड़कचौराहोंपर, अबलासादलथामहिलाका ||२८||

मंदिरमस्जिदसबबंदहुए, विद्यालयभीसबहुएबंद |
निर्दोष, निरीहगुरुशिषका, आनाजानाकरदियाबंद ||२९||

बन्दूकअनीकोदिखलाकर, लातेजनताकोघरबाहर |
फिरखुनीउन्हीभुसुंडीसे, भूनेजातेरहिलासेनर ||३०||

जोजानबचाकरभागखड़ा, उसकाभीवेपीछाकरते |
भयभीतमूसकोंकाजैसे, मार्जारश्वानपीछाकरते ||३१||

निर्बाधनिरीहनिर्दोषबाल, दुधमुहेपटकभूपरदेते |
मानोकलयुगकेविविधकंस, माँसेहठातशिशुकोलेते ||३२||

हरगेहगेहहरग्रामग्राम, नगरोंकेनगरतबाहकिये |
खूनोंकीनदियाँउमड़चलीं, शवमयसबचौराहहुए ||३३||

बंगाललौहमयथाकटाहगोलीगोलोंकाईधनथा |
थीआगकरालशतघ्नीकी, भट्टीतोपोंकातनथा ||३४||

शोणितसर्पीसाउबलरहा, भुज, भुंडकंधसबपगतेथे |
दर्बीभालोंकीअनीबनी, कान्दविकअनीजनतलतेथे ||३५||

हाटकघीसबपिघलपड़ा, योंहाटबाटचौराहेपर |
बूंदीसेमुंडलुड़कतेथेतलतेजिमिनगरकटाहोंपर ||३६||

कहुंझाड़ीझाड़ीझंकाड़पार्श्व, करमुंडझुण्डकंकालजाल |
गेहोंकेअन्दरबैठिबैठिखातेरहतेजम्बुकश्रंगाल ||३७||


अत्याचारोंसेभागभागजनजूहचलाअबभारतमें |
अशरण -जनकोशरणमिली, तबरामकृष्णकेभारतमें ||३८||

तबमुक्तिवाहिनीअनीबनीजयबंगलादेशकाथानारा |
कहते 'ओमारसुनारबंगला' जयबंगबन्धुकाथानारा||३९||

बंगालीक्षुधितभेडियेसे, अबभूलगएअपनाआपा |
करनेस्वतंत्रनिजबंगलाको, छिपछिपकरकरतेथेछापा ||४०||