भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निशागीत / राजकमल चौधरी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:18, 2 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकमल चौधरी |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCatMa...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खिड़कीसँ नीचाँ ससरि क’
इजोरिया
पसरि गेल अछि
हरसिंगारक झमटगर छाहरिमे
केवाड़क दोगमे नुका रहल अछि
हमरे कोनो कविताक
एकटा नवीन पाँती
जेना हँसइत हो खिल-खिल हमरे दुलारि कन्या
एहि जाड़मे बन्हने गाँती
आब जँ निन्न नहि भेल
जीवन भरि
जागल रहि जाएब
जीवन भरी
एहि झमटगर छाहरिक प्रत्याशामे
लागल रहि जाएब
जागल रहि जाएब।