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जानवर / देवशंकर नवीन

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मनुष्य जातिकें ठकब
हमरा लेल बड़ दुष्कर काज अछि
लाख तजबीज कएलो पर
सूक्ष्मतर सावधानी रखनहुसँ
हम शुद्ध सरिसो तेलक दाम द’ कए
नकली रेफसिड कीनि पबै छी
मिलावटक पाइसं कीनल गेल अन्न
सर्वथा अशुद्धे रक्त टा भरत हिनका धमनीमे
बफादारी आ ईमानदारीसँ तिक्ख पाप-
हिनका लए आओर किछु नहि अछि
हमहूँ एहेन उमेद हिनकासँ छोड़ि कए
आब सीख नेने छी ठकपनी

पहिनहि कहलहुँ-
मुनष्यकें ठकव हमरासँ सम्भव नहि अछि
तें
हम देवता-पितरकें ठकैत छी
सड़ल-पचल केराक भोगसँ
निरीह महादेवकें स्नोफिल बढ़ि जेतैन्ह
एहेन कहिओ नहि सोचै छी हम
जिनगीक अन्तिम सांस गनैत पितामह लग
सवा टाकामे गोदान करबैत छी
महगीक एहि उच्च शिखर पर
सवा टाकाक कल्पित गाय
हुनका वैतरणी पार करौतनि कि नहि
तकर चिन्ता हम नहि रखैत छी...
फेर सोचैत छी-
कल्पनेमे सही
मुदा
थिक तं ओ चौपाया पशु ?
तें
ओ निश्चिते हिनका वैतरणी पार क’ देतनि
ओ चौपाया पशु थिक
निष्ठा आ ईमानदारी ओकरा खूनमे छैक
ओ धोखा नहि द’ सकैछ
ओ कि कोनो मनुष्य थिक ?