भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम्‍हारे हाथ / नाज़िम हिक़मत

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:04, 7 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=नाज़िम हिक़मत |संग्रह= }} [[Category:तु...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: नाज़िम हिक़मत  » तुम्‍हारे हाथ

(लम्बी कविता का एक अंश)
तुम्‍हारे हाथ
पत्‍थरों जैसे मज़बूत
जेलख़ाने की धुनों जैसे उदास
बोझा खींचने वाले जानवरों जैसे भारी-भरकम
तुम्‍हारे हाथ जैसे भूखे बच्‍चों के तमतमाए चेहरे

तुम्‍हारे हाथ
शहद की मक्खियों जैसे मेहनती और निपुण
दूध भरी छातियों जैसे भारी
कुदरत जैसे दिलेर तुम्‍हारे हाथ,
तुम्‍हारे हाथ खुरदरी चमड़ी के नीचे छिपाए अपनी
दोस्‍ताना कोमलता।

दुनिया गाय-बैलों के सींगों पर नहीं टिकी है
दुनिया को ढोते हैं तुम्‍हारे हाथ।

(‘तुम्‍हारे हाथ और उनके झूठ’ कविता का एक हिस्‍सा,1949)
......................................................
अनुवाद : सुरेश सलिल