Last modified on 9 जून 2013, at 21:01

दो बूँद / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:01, 9 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

न उसको मोती की है चाह।
न उसको है कपूर से प्यार।
नहीं जी में है यह अरमान।
तू बरस दे उस पर जल धार।1।

स्वाति घन! घूम घूम सब ओर।
आँख अपनी तू मत ले मूँद।
बहुत प्यासा बन चोंच पसार।
चाहता है चातक दो बूँद।2।