कसौटी / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
साँवला कोई हो तो क्या।
अगर हो ढंगों में ढाला।
करेगा क्या गोरा मुखड़ा।
जो किसी का दिल हो काला।1।
बड़ी हों या होवें छोटी।
भले ही रहें न रस वाली।
चाहिए वे आँखें हमको।
प्यार की जिनमें हो लाली।2।
भरा होवे उनमें जादू।
न रक्खें वे अपना सानी।
क्या करें ऐसी आँखें ले।
गिर गया है जिनका पानी।3।
न जिसमें दर्द मिला, ऐसे।
आँख में आँसू क्यों आये।
हित महँक जो न मिल सकी तो।
फूल क्या मुँह से झड़ पाये।4।
क्या करे लेकर के कोई।
किसी का रूप रंग ऐसा।
फूल सा होकर के भी जो।
खटकता है काँटों जैसा।5।
आदमीयत जो खो अपनी।
काम रखते मतलब से हैं।
भले ही गोरे चिट्टे हों।
आबनूसी कुन्दे वे हैं।6।
न बिगड़े रंगत रंगत से।
न मन हो तन पर मतवाला।
भूल में हमको क्यों डाले।
किसी का मुख भोला भाला।7।
रूप के हाथ न बिक जाएँ।
न सुख देवें लेकर दुखड़ा।
काठ से अगर पड़ा पाला।
क्या करेगा सुडौल मुखड़ा।8।