जतिन मेहता एम ए / विशाल श्रीवास्तव
जतिन मेहता एम ए
जतिन मेहता एम ए
जतिन मेहता एम ए
अपने ऍंधेरे कमरे में
पीली रोशनी से भरा कोई काग़ज़ पढ़ रहा है
और उससे थोड़ी दूर दीवार पर
एक अधेड़ मकड़ी पूरी मेहनत से
इतिहास का सघनतम जाला बुन रही है
अभी-अभी कमरे की खिड़की पर
पंखों पर गहरे कत्थई दाग़ वाली
एक तितली आकर बैठ गई है
वह किसी पेट्रोल कम्पनी के
लुभावने विज्ञापन से भाग आई है
जिसे समूचे विश्व के अधिनायक द्वारा दिये
शान्ति-सन्देश के बाद दिखाया जा रहा था
खबरें बता रही हैं
ठीक अभी कुछ समय पहले
बसरा के किसी उपनगर में
मार दिये गये हैं कुछ अनाम लोग
बाहर मुहल्ले की संकरी गली में
कोई पुराने हारमोनियम पर
किसी मर्सिए के पहले टुकड़े जैसी
भारी और उदास धुन बजाने की कोशिश में है
और दूर अहमदाबाद की किसी निचली अदालत में
सहमी हुई कोई लड़की अपना बयान बदल रही है
अपनी फीकी और बदरंग ओढ़नी में
न्याय के नाम पर समेट रही है
गीला और साँवला दु:ख
पीली रोशनी से भरा हुआ यह काग़ज़
शोक-प्रस्ताव जैसा दिखने वाला एक सन्धि-पत्र है
आइए इसकी सयानी बारीकियों को समझें -
तुम तो ब्रेष्ट और नेरुदा को समझते हो जतिन
इस काग़ज़ को किसी रूखे शासनादेश की तरह नहीं
किसी मोनोग्राफ या निबन्ध की तरह
पूरी सहजता और भरोसे के साथ पढ़ो
पढ़ो और समझो कि हमने गढ़ा है
निर्ममता का सम्भ्रान्त शिल्प
लोगों के मर जाने के पीछे हमने
सुलझे हुए और गहरे वैज्ञानिक तर्क दिये हैं
तुम्हें सबकुछ दिखाया है सजीले माध्यमों के जरिये
तो यह सारा कुछ गम्भीरता से देखो
और बस यहीं
मार्मिक होने से पहले कृपया थोड़ा रुको
दुखी होने से पहले
अपने शोक और विषाद की मात्रा को
बाज़ार जैसी ज़रूरी व्यवस्था को तय करने दो
जतिन मेहता एम ए
पीली रोशनी से भरे काग़ज़ को
गुलाबी चिट्ठियों के बीच सम्भालकर रख रहा है
उसे पढ़ने लिखने मे मुश्किल हो रही है अब