भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बीत गये दिन भजन बिना रे / कबीर

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:18, 7 जुलाई 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बीत गये दिन भजन बिना रे ।

भजन बिना रे, भजन बिना रे ॥



बाल अवस्था खेल गवांयो ।

जब यौवन तब मान घना रे ॥



लाहे कारण मूल गवाँयो ।

अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे ॥



कहत कबीर सुनो भई साधो ।

पार उतर गये संत जना रे ॥