Last modified on 16 जुलाई 2013, at 18:53

कामना - 2 / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:53, 16 जुलाई 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


उपजे महारथी प्रभु कोई;
हरे भार भारत-भूतल का भूति लाभ कर खोई।
अनुपम साहस-सलिल-धार से जाय हित-धारा धोई;
उलहे बेलि अलौकिक यश की विजय-अवनि में बोई।
पुलकित बने अपुलकित रह-रह विपुल प्रजा बहु रोई;
आशा-उषा राग-रंजित हो जागे जनता सोई।