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समय के बाहर / शिवकुटी लाल वर्मा

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समय मुझे
अपने से बाहर फेंक रहा है

ओह !
कैसा होता है
समय के बाहर फेंक दिया जाना ?

समय के बाहर जीना,
समय के बाहर ही
मर जाना ।