Last modified on 18 अगस्त 2013, at 18:21

सत्य की शोक-सभा / अमित

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:21, 18 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= अमिताभ त्रिपाठी ’अमित’ }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अच्छा हुआ तुम नहीं आये
शोक सभा थी
तुम्हारी ही मृत्यु की
याद किया सभी ने तुम्हें
गुण गाये गये तुम्हारे
रहा दो मिनट?
का मौन भी
चर्चा थी, अंदेसा था सभी को
तुम्हारी मृत्यु का
पुष्टि नहीं की किसी ने
अफ़वाह की
जैसे सभी को प्रतीक्षा थी
इसी बात की
मै भी चुप रहा सब जान कर
फिर सोचा
सच होकर भी शर्मिन्दा हो
क्या सचमुच तुम जिन्दा हो
हर झूठ से डरते हो
मुझे तो लगता है
तुम रोज़ मरते हो
सभा समाप्त हुई
हम घर आये
अब क्यों खड़े हो मुहँ लटकाये
अरे भाई अच्छा हुआ
तुम नहीं आये।