भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सड़कों के मुख / आन्ना कमिएन्स्का

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:12, 28 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=आन्ना कमिएन्स्का |संग्रह= }} [[Categor...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: आन्ना कमिएन्स्का  » सड़कों के मुख

 
ख़ामोश हैं सड़कों के मुख, अन्धी पड़ जाती हैं खिड़कियाँ,
बगैर आवाज़ किए काँपती हैं रास्तों की ठण्डी नाड़िय़ाँ,
ओलों से भरपूर सीसा बादलों
से भरा आसमान टँगा हुआ है गीले फ़ुटपाथ के आईने में
अस्पताल में मर रही है मेरी माँ ।
जलती सफ़ेद चादरों में से
वह उठाती है अपनी हथेली -- और नीचे झूल जाता है उस का बाजू
शादी की उसकी अँगूठी जो मुझे चुभा करती थी
जब वह नहलाया करती थी मुझे
वह फिसल जाती है उसकी पतली पड़ गयी उँगली से ।
शीत की नमी पीते हैं दरख़्त ।
कोयले से लदा ठेला खींचता घोड़ा अपना सिर झुकाता है ।
एक रेकॉर्ड पर घूम रहे हैं बाख और मोत्सार्ट
जैसे धरती घूमती है सूरज के गिर्द ।
यहाँ, एक अस्पताल में मर रही है मेरी माँ
मेरी मामा ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक कुमार पाण्डे