भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आओ साथ हमारे / शैलेन्द्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:23, 8 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= शैलेन्द्र |संग्रह=न्यौता और चुनौ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आओ साथ हमारे, आओ, आओ साथ हमारे
हैं ये गीत तुम्हारे, आओ, गाओ साथ हमारे
आओ, आओ साथ हमारे

ऐ अन्धी गलियों में बसने वालो
हर पल जीवन की चक्की में पिसने वालो
आओ, आओ साथ हमारे

डर किसका अब गोली अपना रुख बदलेगी
दुश्मन को पहचान चुकी है बदला लेगी
राह ने देखो, टूट पड़ो, तूफ़ान बन जाओ
आओ, आओ साथ हमारे