भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बढ़ता हुआ बच्चा / अशोक चक्रधर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:07, 9 नवम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक चक्रधर |संग्रह=ए जी सुनिए / अशोक चक्रधर }} मैग्ज़ीन...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैग्ज़ीन पढ़ रही है मां
बच्चा सो रहा है,
बच्चे के हाथ में भी
एक किताब है
पढे़ कैसे
वह तो सो रहा है।

हिचकियां ले रहा है
और बड़ा हो रहा है।

बढ़ता हुआ बच्चा
जब और और बढ़ेगा,
तो मां से भी ज़्यादा
किताबें पढ़ेगा।
मज़ा तो तब आएगा,
जब वो
किसी अनपढ़ मां को
पढ़ाएगा।