Last modified on 30 सितम्बर 2013, at 14:01

मोर सिपाही हो / भोलानाथ गहमरी

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:01, 30 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भोलानाथ गहमरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब-जब देसवा पर
परली बिपतिया
मोर सिपाही हो, जिया के तूँही रखवार
बाप-महतारी तेजलऽ
तेजलऽ जियावा
मोर सिपाही हो, तेजल तूँ घरवा-दुआर।
छोड़ि सुख-निदिया भइली
तपसी जिनिगिया
मोर सिपाही हो, चूमेले माटी लिलार।
मनवाँ गंगाजल लागे
गीता तोरी बोलिया
मोर सिपाही हो, करतब अटल पहार।
धरती बचनियाँ माँगे
माँगेले जवनियाँ
मोर सिपाही हो, माँगले तोहरो पियार।
जीत बरदनवाँ तोहरो
मीत रे मरनवाँ
मोर सिपाही हो, चरन पखारीं तोहार।