Last modified on 8 अक्टूबर 2013, at 23:38

फिर वो बरसात ध्यान में आई / सरवत हुसैन

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:38, 8 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरवत हुसैन }} {{KKCatGhazal}} <poem> फिर वो बरसात...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फिर वो बरसात ध्यान में आई
तब कहीं जान जान में आई

फूल पानी में गिर पड़े सारे
अच्छी जुम्बिश चट्टान में आई

रौशनी का अता पता लेने
शब-ए-तीरा जहान में आई

रक़्स-ए-सय्यार्गां की मंज़िल भी
सफ़र-ए-ख़ाक-दान में आई