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चुगलखोर धूंओं / राजूराम बिजारणियां
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पेट रै बांध गांठ
चूल्है री
बैवणी माथै बैठ्या
हरेक जण री
फाकाकसी नै
फिरोळ’र बतावै
गोळ-गुळाच्यां खावतो
झूंपड़ै सूं उठतो
मालजादो
‘चुगलखोर’ धूंओं..!