Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 07:04

सौ पगी हूण !/ कन्हैया लाल सेठिया

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:04, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धपाऊ मेह
हरी कचन
घोटां पोटां बाजरी
लीला छिम
खारीयै मान मोठ
कड्यां सूदो गुंवार
बेलां रै बैथाक चिंयां
को कातरो न फाको
रामजी री मैर
समूं जोर रो
साख सवाई
करसै रै नेणां में सपनां
मनड़ै में नेठाई
पण कुदरत री नीत में खोट
चनेक में फिरग्यो बायरो
चालगी बैरण नागौरण
बैठगी पींदै आल
सूखगी खेत्यां
पड़ग्यो अणधार्यो काळ,
मिनख, बरसावै नकली बिरखा
पण कठै नकली पून
दो पगी काया
सौ पगी हूण !