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आंखियां रौ बवार देखूंला / सत्येन जोशी
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आंखियां रौ बवार देखूंला
धुंध रै आर -पार देखूंला
देखली आपरी अणूताई
आज खुदरौ तुमार देखूंला
जाणै पासौ कदै पलट जावै
दांव म्है भी लगां’र देखूंला
नख निवाई भी आस कोनी है
कांकरा वार वार देखूंला
रात री खाक में है टाबरियौ
आंगणै में उतार देखूंला
मौत, मनवार सूं नहीं मूंगी
जिंदगाणी गुजार देखूंला
वो बकारै घड़ी घड़ी भर में
देखलूंला, अबार देखूंला