कोई बरसन लागी काली बादली! / हरियाणवी
कोई बरसन लागी काली बादली !
"डौलै तै डौलै, हालीड़ा, मैं फिरी
मन्ने किते न पाया थारा खेत ।"
बरसन लागी काली बादली !
"कोई चार बुलदांका, हालीड़ा, नीरना
दोए जणिएँ की छाक !"
बरसन लागी काली बादली !
"कितरज बोया, हालीड़ा, बाजरा ?
कोई कितरज बोई जवार ?"
बरसन लागी काली बादली !
"थलियाँ तै बोया, गोरी धन, बाजरा,
कोई डेराँ बोई जवार"
बरसन लागी काली बादली !
भावार्थ
--'देखो, काली बदली बरसने लगी है । "अजी ओ किसान, मैं मेंड़-मेंड़ पर घूमी-फिरी, तुम्हारा खेत मुझे कहीं
नहीं मिला ।" और काली बदली बरसने लगी है । " चार बैलों के लिए मैं भूसा लाई हूँ, दो आदमियों के पीने
लायक छाछ ।" और काली बदली यह बरसने लगी है ।
--"गोरी धन, ज़रा किसी ऊँची मेड़ पर चढ़ कर निहारो, मेरे गोरे बैल के गले में बड़ी घंटी भी तो बज रही है ।"
फिर काली बदली बरसने लगी है ।
--"अजी ओ किसान, किस तरफ़ तुमने बाजरा बोया है ? और कहाँ बोई है जवार ?" काली बदली बरसने लगी
है ।
--"गोरी धन, ऊपर के खेत में बाजरा बोया है और्नीचे के खेत में जवार ।"और काली बदली बरसने रही है ।'