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ये हुस्न का है दौलत रखना छिपा-छिपा के / महेन्द्र मिश्र

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भजो श्री राम को प्यारे उमिरिया बीत जाता है।
ये दुनिया चार दिन का है ये झूठा नेह नाता है।

करो हिम्मत न कादर हो जनम जाता सिराता है।
समर में बीर जाता है तो हिम्मत आ ही जाता है।

करे कोई लाख चतुराई नहीं कुछ हाथ आता है।
कजा जब आ ही जाता है तो निश्चय ले ही जाता है।

महेन्दर की लगन लागी कहीं कुछ ना सोहाता है।
छटा हर दम सियाबर का झलक झाँकी लखाता है।