Last modified on 5 नवम्बर 2013, at 08:56

हम तो बिछड़े के रो लेते हैं / अतीक़ इलाहाबादी

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:56, 5 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अतीक़ इलाहाबादी }} {{KKCatGhazal}} <poem> हम तो ब...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हम तो बिछड़े के रो लेते हैं
दाग़-ए-जुदाई धो लेते हैं

ग़म को नाहक़ रूस्वा करने
मय-ख़ाने को हो लेते हैं

हो जाते हैं ख़ुद वो मुक़द्दस
नाम भी उन का जो लेते हैं

जिस ने भी कीं प्यार से बातें
साथ उस के हो लेते हैं

क्यूँ चाहें अख़्लाक़ की फ़सलें
वो जो नफ़रत बो लेते हैं

देव परी के क़िस्से सुन कर
भूके बच्चे सो लेते हैं