Last modified on 12 नवम्बर 2013, at 21:05

दोधारी तलवार / हनीफ़ तरीन

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:05, 12 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनीफ़ तरीन }} {{KKCatNazm}} <poem> ख़्वाहिश की ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ख़्वाहिश की तस्कीं की ख़ातिर
अपने ला-यानी जज़्बों को
लौह-ए-दिल पर आँख रहे हैं
देश बिदेश की ख़ाक छान के
गिरते-पड़ते फाँक रहे हैं
अपनी दीद से ग़ाफ़िल कर कर
ना-दीदा को झाँक रहे हैं